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दोस्तों, मेरा नाम सनी सक्सेना है। पिछली कहानी में आपने पढ़ा — कैसे मेरी चचेरी बहन रिया ने पैसे लौटाने की जगह अपनी चूत सामने कर दी, और मैं उसकी गंध में ऐसा डूबा कि रिश्तों की सारी हदें तोड़कर उसे उसी रात चोद डाला। फिर चाय पी, बातें हुईं… लेकिन असली खेल तो अब शुरू होने वाला है।
Part 1 पढ़ें: कज़िन बहन की चुदाई – चूत का लंड से प्यार (cousin behen ki chudai rista nani chut ka lund se pyar Part 2)चाय की पहली चुस्की के साथ रिया ने मुस्कराकर पूछा — “अब सुकून मिला?”
मैंने कहा — “अभी नहीं… जब तक तू दोबारा मेरी गोद में ना आ जाए।” वो हँसी — और कप रखकर फिर से मेरी गोद में बैठ गई।
वो जब मेरी आँखों में देख रही थी, तो मुझे बचपन की कई तस्वीरें याद आने लगीं — वही रिया, जिससे मैं लड़ता था… जो कभी मेरे बिस्तर में सो जाती थी जब उनके घर जाता था। वो रातें, जब हम तकिए लेकर एक ही रजाई में घुसे रहते थे… छोटे-छोटे झगड़े, चुपके से मैगी खाना, नींद में पैर मारना… सब कुछ जैसे आज भी सामने हो।
लेकिन आज की रिया अलग थी — और मैं भी वो मासूम लड़का नहीं था। आज वो मेरी गोद में बैठी थी, अपनी पैंटी एक तरफ खिसका चुकी थी… और मेरा लंड थामकर बोली — “अब सीधे घुसेगा… कोई कहानी नहीं, बस चूत और लंड की टक्कर।”
कभी जो भाई-बहन कहे जाते थे… आज उन रिश्तों से बहुत आगे निकल आए थे। कभी जो एक-दूसरे को देखकर चिढ़ाते थे… आज उन्हीं आँखों में वासना की आग जल रही थी।
मैं अंदर से हिला हुआ था — कि एक दिन वो लड़की, जिसे कभी राखी बांधते देखा था, आज मेरे लंड को अपनी चूत में खींच रही है… और मैं रोक नहीं पा रहा, क्योंकि… रिश्तों ने हमें 'भाई-बहन' बना कर दूर किया था… लेकिन वासना ने हमें इतना करीब ला दिया कि अब सिर्फ लंड और चूत का रिश्ता बचा था।
इस बार सब कुछ और गीला था — ना कोई डर, ना कोई झिझक। रिया ने खुद अपनी पैंटी एक तरफ की… और मेरा लंड पकड़ते हुए बोली — “अब सीधे घुसेगा… कोई कहानी नहीं, बस चूत और लंड की टक्कर।”
मैंने उसे उठाया, दीवार से टिकाया और सीधे अंदर घुस गया — उसकी चीख फिर गूंज उठी — “हां हां... यही चाहिए था मुझे… दीवार से टिकाकर फाड़ मेरी चूत!”
इस बार रिया खुद अपनी चूचियाँ मसल रही थी, और मैं कमर पकड़कर पूरे जोर से उसे चोद रहा था। माथे से पसीना टपक रहा था — और चूत से पानी बहता जा रहा था। धप्प! धप्प! धप्प! — पूरी रफ्तार में मैं उसे झकझोर रहा था।
जब मैं दूसरी बार फूटा… तो वो बोली — “अब चल खाना खा लें… फिर तो असली खेल बचा है…”
हम दोनों ने नंगे ही खाना खाया — वो बार-बार मेरी जाँघों को छू रही थी। फिर बोली — “अब मेरी सेविंग करोगे? गांड के पास बाल बहुत हो गए हैं…”
“आज तेरे भी बाल साफ़ करेंगे भैया…” — रिया मुस्कराते हुए बोली। “तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं रही क्या आज तक? जो तू अब तक ऐसे जंगल में घूमता फिर रहा है…”
मैं झेंप गया — “नहीं यार, किसी ने ऐसे कभी देखा ही नहीं…”
वो मेरे पास बैठ गई, ट्यूब खोलते हुए बोली — “तो अब मैं हूँ ना। अब मैं देखूँगी… अब मैं सिखाऊँगी तुझे कि खुद को साफ कैसे रखते हैं। आखिर तेरी ही तो हूँ — पूरी तरह। जब तक थी बहन, कुछ कह नहीं पाई… अब जब रिश्ते सब धुंधले हो चुके हैं… तो क्यूँ ना उस एहसास को पूरा जी लूं जो बचपन से अंदर ही अंदर पल रहा था।”
रिया ने हल्के से मेरी जाँघों को खोला — और hair removal cream मेरे लंड के नीचे, अंडकोष और गांड के पास लगाने लगी। उसकी उंगलियों में कोई हड़बड़ी नहीं थी — बस एक अपनापन था… जैसे कोई बीवी अपने शौहर को पहली बार पूरी तरह अपने हाथों से साफ कर रही हो।
“याद है बचपन में जब तू गिरता था, मैं तेरा घुटना धोती थी?” — वो बोली। “अब भी वही कर रही हूँ… बस अब जगह थोड़ी बदल गई है।”
मेरे पूरे शरीर में ठंडी सी सिरहन दौड़ गई। उसकी उंगलियों की नर्मी और क्रीम की ठंडक ने मिलकर ऐसा जादू कर दिया, जैसे मेरी गांड के बाल नहीं, **मेरी सारी संकोच की परतें हट रही हों।**
“तेरा कोई नहीं था अब तक जो तुझे ऐसे छुए?” — उसने धीरे से पूछा। मैंने कहा, “नहीं… किसी ने इतने प्यार से कभी नहीं देखा…”
रिया रुकी — मेरी आँखों में देखा, और फिर बोली — “अब किसी बाहरवाले के लिए क्यों बचाकर रखूँ अपनी चूत? जब तू ही वो है जिसे मैं सबसे ज़्यादा जानती हूँ। हम दोनों का दुःख, बचपन, डर… सब साथ था। अब अगर चूत और लंड भी साथ हो जाएं, तो क्या ही बुरा?”
उसने मेरी गांड की लाइन तक उंगलियाँ फिराईं, और मैं एक पल को काँप गया — “भाई… अब तू सिर्फ मेरा नहीं — मेरा हिस्सा है। तेरे जिस्म की हर परत अब मेरी जिम्मेदारी है।”
शरीर पूरी तरह नंगा था, बाल हट चुके थे — लेकिन मेरे अंदर जो हलचल थी, वो सिर्फ लंड की नहीं… वो उस रिया के लिए थी, जो कभी बचपन में तकिया चुराकर हँसती थी — और आज अपनी चूत मेरी किस्मत बना चुकी थी।
“अब चल, नहा ले…” — रिया ने कहा। मैं चुपचाप उठा — दोनों नंगे, चिकने जिस्मों के साथ बाथरूम की ओर बढ़े। रिया ने शॉवर चलाया — पानी की धार हमारे बदन से टकरा रही थी… और हर वो जगह जहाँ बाल थे, अब सिर्फ नर्मी थी… और पसीजती हुई वासना।
उसने मेरे सीने पर हाथ फिराया — फिर धीरे से पीठ तक ले गई… और मेरी गांड के दोनों गोलों पर उंगलियाँ घुमाने लगी। “अब तू वैसा लग रहा है जैसा मुझे चाहिए था… पूरा साफ, सिर्फ मेरे लिए।”
मैंने उसके कंधों पर हाथ रखा — और उसके भीगे हुए शरीर को अपने से चिपका लिया। रिया की चूत मेरे लंड से चिपक चुकी थी — और हमारे बीच अब सिर्फ गर्म पानी और तेज़ साँसे थीं।
“अब बिस्तर पर चल… नहाए तो बहुत, अब एक-दूसरे को सूखाएंगे भी…” — वो हँसी में फुसफुसाई।
हम दोनों नहाकर बाहर निकले — रिया ने बिना कुछ कहे बिस्तर पर सीधा पेट के बल लेट गई। उसकी चिकनी, गीली पीठ और गांड मेरी आँखों के सामने थी — जैसे खुद चूत कह रही हो, "अब हाथ घुमा, अब दे अपनी गर्मी।"
उसने पीछे मुड़कर बस इतना कहा — “मलिश कर… तू ही तो है अब जो मेरा बदन भी समझता है, और मेरी आग भी।”
मैंने लोशन लिया — और बिना टाइम खराब किए उसकी पीठ पर मलना शुरू किया। मेरे हाथ उसकी गर्दन से फिसलते हुए पीठ के बीच तक गए, फिर उसकी कमर से होते हुए गांड के दोनों गोलों पर रुके।
उसकी चिकनी गांड अब मेरे हाथों के नीचे थी — मुलायम, गर्म, और इतनी फिसलती कि पकड़ के भी छूटे। मैंने दोनों गोलों को अलग कर के दरार में भी उंगलियाँ घुमा दीं — वहाँ से उसकी चूत की गर्मी साफ महसूस हो रही थी।
वो हल्के से सिसकते हुए बोली — “अब ज़्यादा सोच मत… अब जिस जगह तेरा लंड चढ़ना है, उसे तेरे हाथों की आग चाहिए सबसे पहले।”
मैंने उसकी गांड की दरार के अंदर तक हाथ फिराया — अब उँगलियाँ सिर्फ दरार में नहीं, उसकी चूत की नमी में डूब रही थीं। रिया अब धीरे-धीरे अपनी टाँगें फैला रही थी… जैसे खुद को पूरी तरह खोल रही हो मेरे लिए।
वो बिस्तर पर मुँह टिकाकर फुसफुसाई — “अब बस रगड़ मत… अब तेरे लंड की आग चाहिए अंदर से।”
मैंने उसकी कमर दोनों हाथों से कसकर पकड़ी — और धीरे-से अपना लंड उसकी चूत के मुहाने पर टिकाया। रिया की चूत पहले से ही गीली थी, और उसकी गर्मी जैसे मेरे लंड को खींच रही थी। मैंने एक गहरा सांस लिया… “ह्ह्ह… अब ले…” — और पूरा लंड एक ही झटके में अंदर धँसा दिया।
“आह्ह्ह… हाँ… पूरा डाल दिया…” — वो बिस्तर पर मुँह टिकाकर सिसक उठी, “उह्ह्ह… अब मत रोक… जितना गहरा जा सके, कर दे फाड़।”
मैंने उसके बाल हल्के से पकड़कर गर्दन ऊपर की, और फिर कमर से थामकर अपनी रफ्तार बढ़ा दी। धप्प! धप्प! धप्प! — हर झटके पर उसकी गांड थरथराई, “आह… आह… उफ्फ्फ…” — उसकी चूत से पानी की छप-छप की आवाज़ें गूंज रही थीं।
मैंने उसके कान में झुककर धीरे से फुसफुसाया — “तेरी चूत आज सिर्फ मेरी है… अब हर वो जगह चीरूंगा जो तूने कभी छूने तक नहीं दी।”
रिया ने और कमर उचका दी — “आह्ह… ले ना… कर ना गहराई तक… तोड़ दे…” उसकी साँसें तेज़ हो गई थीं — “हूँह्ह… हाँ… और… और…” — उसकी सिसकियाँ अब सीधा मेरे लंड तक महसूस हो रही थीं।
मैंने उसे कसकर पकड़ा, और गहराई तक धँसने लगा — हर झटके पर उसका शरीर कांपता — धप्प! धप्प! छप! छप! — उसकी चीत्कारें, “उफ्फ्फ… आह… हाssss…” कमरे में गूंजने लगीं। मैंने आँखें बंद कीं… और आखिरी बार एक ज़ोरदार झटका मारा — पूरा लंड अंदर — और गरम लावा उसकी चूत में बह निकला।
“आह्ह्ह… भर दिया…” — रिया कांपती हुई मेरी बाहों में गिर पड़ी।
मैंने लंड बाहर निकाला — उस पर उसका गीला रस और मेरा लव लिपटा हुआ था, वो पसीने से तर-बतर पड़ी थी — लेकिन आँखें अब भी बोल रही थीं, “एक बार और…”
मैंने उसे पलटा — और लंड उसके मुँह के सामने किया। वो झुकी… “ह्ह्ह्ह…” — उसकी सांसें गर्म थीं — और जीभ से टिप चाटते हुए मुँह में भर लिया। “चूsss… आह्ह… हुम्म…” — अब वो मेरी थकान चूस रही थी, जैसे दोबारा जिंदा कर रही हो।
उसने लंड को हाथ में पकड़ा, मेरी आँखों में झाँका… “ह्ह्ह…” — और धीरे-धीरे पूरा मुँह में भर लिया। “चूsss… हुम्म… गग्ग…” — होंठ कसते गए, उसका गला भरता चला गया… अब हर चूसन मेरी रग-रग में उतर रही थी।
उसकी ज़ुबान मेरी लंड की नसों पर खेल रही थी — ऊपर से नीचे, फिर धीरे से अंडकोष तक। वो बार-बार मेरी आँखों में देखती… और फिर पूरा लंड गहराई तक मुँह में भर लेती। “चूsss… हुम्म… हाह्ह…” — उसकी आवाज़ें मुझे रूह तक सुकून दे रही थीं।
फिर उसने मेरा हाथ थामा — और मुस्कराकर बोली, “अब तेरी बारी है… लेट जा, और सब मुझ पर छोड़ दे।”
मैं पेट के बल लेट गया — और वो मेरे पीछे बैठ गई। RIA ने तेल की छोटी बोतल खोली — एक गर्म बूंद मेरी कमर पर गिरी… और फिर उसकी उंगलियाँ धीरे-धीरे फैलने लगीं। कमर से लेकर जाँघों तक — वो हर मांसपेशी को जैसे पिघला रही थी।
फिर उसने मेरी जाँघों के बीच फिसलते हुए उँगलियाँ गांड तक ले आई — “इतनी tight है तेरी गांड… अब खोलूँगी इसे भी… जैसे तूने मेरी खोली थी।”
तेल की गर्मी और उसकी उंगलियाँ — गांड की दरार में धीरे-धीरे सरकती चली गईं। कभी वो हल्के से नाखून फिराती, कभी सिर्फ नरम छुअन — और फिर… अचानक उसका मुँह वहाँ था। “उफ्फ्फ… रिया…” — मैं सिहर उठा।
उसकी जीभ मेरी गांड पर घूम रही थी — नीचे से ऊपर, फिर हल्की सी चूसने जैसी ध्वनि, “चाट चाट चाट…” — जैसे वो मेरी थकान चाट रही हो। हर lick के साथ मेरा शरीर झनझना उठता — उसकी साँसें मेरी दरार के बीच महसूस हो रही थीं।
आगे क्या हुआ? — जब मेरी मालिश, मेरी चुसाई, और domination का ये खेल RIA की गांड तक पहुँचा… और एक नई wild fantasy शुरू हुई।
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