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दिल्ली की सर्दी तेज हो चली थी। दिसंबर का आख़िरी हफ्ता था, जब शामें जल्दी ढलती हैं और रातें लंबी महसूस होती हैं। मैं, अर्जुन, एक IT कंपनी में काम करता था — और मेरी नई-नई जॉइनिंग थी। ये ऑफिस थोड़ा अलग था। यहाँ का माहौल खुलेपन वाला था, और लड़कियाँ... बहुत सारी थीं।
पूरे स्टाफ में सिर्फ 4 लड़के थे, जिनमें से ज़्यादातर या तो शादीशुदा थे या सीधे-साधे किस्म के। और मैं — जो ऑफिस में तकनीक संभालता था, लेकिन मन में कुछ और ही चल रहा था।
मेरे सामने बैठती थी राशी — एक बेहद स्लिम लड़की, छोटी-छोटी आँखें, पर गहरी निगाहें। hoodie और leggings में लिपटी रहती थी, और बात कम ही करती थी। मगर उसकी खामोशी में भी कुछ था जो रोज़ मेरी नज़रें खींच लेता था।
उस दिन ऑफिस की क्रिसमस पार्टी थी — drinks, snacks, loud music और खुला माहौल। लगभग 6 बजे तक सारे लड़के जा चुके थे। अब सिर्फ बचीं थी 15 लड़कियाँ — और मैं अकेला लड़का।
मैं थोड़ा हिचकिचाया, लेकिन अंदर कहीं एक अलग ही जोश था। शायद ये माहौल मेरे लिए ही बना था।
तभी HR मेघा मैडम आईं — उम्र लगभग 40, पर चाल में अब भी नज़ाकत थी। वो मेरी ओर आईं और धीरे से बोलीं:
“आज सिस्टम की जगह अगर मुझे हैंडल कर लो, तो ज़्यादा मज़ा आएगा...।”
मैं चौंका, पर मुस्कुरा दिया। अंदर कुछ हलचल ज़रूर हो रही थी, और उसका असर मेरे लंड पर साफ दिखने लगा था।
तभी पीछे से राशी आई — बीयर का गिलास हाथ में था। उसने धीरे से मेरी जांघ पर हाथ रखा और बोली:
“आज तू बहुत अच्छा लग रहा है…”
उसका स्पर्श जैसे सीधा मेरे अंदर तक उतर गया। मैं कुछ कहता, उससे पहले सिमरन आ गई — थोड़ी गेहुँआ रंगत, gym-toned body, confident चाल। उसने बिना कुछ कहे मेरा कॉलर पकड़ा और हल्के स्वर में बोली:
“आज सबकी नज़र तुझ पर है... centerpiece बन चुका है तू।”
Music अब तेज़ हो गया था, lights धीमी... माहौल धीरे-धीरे बदल रहा था।
राशी ने मेरी pant की zip धीरे से नीचे खिसकाई। मैं हल्का कांपा, लेकिन विरोध करने का सवाल ही नहीं था। उसकी आँखों में भूख थी — एक साफ़-सुथरी, बिना झिझक वाली भूख।
तभी प्रिय — सबसे सीधी-सादी दिखने वाली लड़की — घुटनों पर आकर बैठ गई। वो मेरे लंड की ओर देखती रही, फिर बोली:
“इसका पहला kiss मेरा होगा…”
उसने धीरे से अपनी जुबान नीचे से ऊपर तक फेरी — बेस से लेकर टिप तक। मेरी सांसें रुकने लगीं।
उसी वक्त, राशी मेरी गोद में चढ़ गई। उसने panty नीचे सरकाई और मेरी लंड को अपनी चूत की लाइन पर रखकर कहा:
“मेरा पहला बार है, लेकिन आज रुकना मत…”
वो धीरे-धीरे नीचे बैठी। उसकी चूत की गर्मी मेरे लंड को निगल रही थी। उसके शरीर में कंपन था, और मेरी धड़कनें बेकाबू हो रही थीं।
पीछे से सिमरन ने मेरी गर्दन चूमी और मेरे सीने को सहलाते हुए बोली:
“तू अब हमारा है अर्जुन... सिर्फ एक का नहीं, सबका है।”
अभी मैं कुछ समझ पाता, उससे पहले मेघा मैडम पीछे से आईं — उनकी साड़ी का पल्लू सरक रहा था, blouse आधा खुल चुका था। उन्होंने मेरी कमर पर हाथ रखकर फुसफुसाया:
“अब मैं चाहती हूँ तुझसे... पीछे से भर दे मुझे…”
मैं धीरे से उठा, और जैसे ही पीछे से झुकी हुई मेघा मैडम के पास पहुँचा, उन्होंने खुद अपनी चूत को मेरे लंड के सामने रखा।
मैंने धीरे से thrust किया — उनका शरीर झटका खाकर आगे गया, लेकिन उन्होंने पीछे से कसकर पकड़ लिया। उनकी चूत tight थी, भीगी थी, और पूरी तरह मेरे लंड को बाँध चुकी थी।
Simran अब impatient हो चुकी थी — उसने मुझे खींचा और कहा:
“अब मेरी बारी है… लेट जा।”
मैंने खुद को सोफे पर डाला। सिमरन मेरे ऊपर चढ़ गई, panty साइड की और एक ही झटके में मेरी लंड पर बैठ गई।
“उफ्फ… अर्जुन... यही चाहिए था…”
उसकी चूत tight और गर्म थी। वो ऊपर-नीचे होती रही और मेरी रफ्तार के साथ तालमेल बैठाती रही। नीचे फर्श पर प्रिय और राशी एक-दूसरे की चूत चाट रही थीं, पूरी तरह भीगी और बेसुध।
सिमरन ने मेरे बालों में उंगलियाँ डालीं और बोली:
“अब छोड़ दे अर्जुन... सब मेरे अंदर…”
मैंने कमर पकड़कर आखिरी जोर मारा और सारा लावा सिमरन के अंदर बहा दिया।
कुछ देर बाद — सब चुप थे। सिमरन मेरी छाती पर लेटी थी, राशी मेरे पैरों से सटी, और प्रिय मेरे कंधे पर सिर रखे बैठी थी।
तीनों के चेहरे पर सुकून था, लेकिन आँखों में सवाल।
सिमरन ने कहा — “मैं अर्जुन को सिर्फ आज के लिए नहीं, रोज़ चाहती हूँ।”
प्रिय बोली — “तो क्या मैं सिर्फ इस पार्टी तक थी?”
राशी ने गहरी आवाज़ में कहा — “अब अर्जुन को सिर्फ एक चाहिए — और वो मैं हूँ।”
मैं बीच में था — नग्न, पसीने से तर, लेकिन अब लंड नहीं... दिल तेज़ धड़क रहा था।
मैंने कहा — “तय करो, आज कौन मेरे साथ घर चलेगी?”
Simran बोली — “Rashi का पहला हक़ है…” Priya मुस्कुराई, लेकिन उसकी मुस्कान में हल्की सी खालीपन थी।
मैंने एकदम से कहा — “नहीं... तीनों चलो।”
तीनों एक साथ चौंकीं।
“हाँ... मेरे फ्लैट पर चलो। बस 100 मीटर दूर है। तुम सबके PG अलग-अलग हैं, और आज के बाद हम अलग क्यों रहें?”
वो अब हँसी में बदल चुका था — वो डर जो आँखों में था, अब शरारत बन चुका था।
हम चारों बाहर निकले — कोई हिचक नहीं, कोई शर्म नहीं।
Flat में लाइट ऑन हुई, दरवाज़ा बंद हुआ, और हँसी गूँज उठी।
Simran बोली — “आज शराब नहीं... गेम्स खेलते हैं — सवाल-जवाब वाले।”
Priya ने किचन से मग निकाला, Rashi ने Bluetooth स्पीकर चलाया, और मैं बस दीवार से टिककर उन्हें देखता रहा।
जहाँ कभी मेरी तन्हाई रहती थी, आज वहाँ तीन जोड़ी कदम थे।
मैंने सोचा — “शायद पहली बार ऐसा लग रहा है कि मैं इस्तेमाल नहीं हो रहा... अपनाया जा रहा हूँ।”
आगे क्या होगा, ये कोई नहीं जानता। शायद हम ट्रिप पर जाएं, या फिर ये फ्लैट ही हमारा अड्डा बन जाए।
लेकिन एक बात तय थी — अब जो भी होगा, वो **साथ में होगा।**
Eklauta Lund... अब तीन लड़कियों के दिल और जिस्म में बस चुका था।
दोस्तों, मेरी कहानी कैसी लगी?
शायद भाषा की शुद्धता में थोड़ी कमी रह गई हो, लेकिन फिर भी मैंने पूरी कोशिश की है कि ये कहानी आपको उसी रूप में सुनाऊं — जैसी वो सच में घटी थी।
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