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Real Indian Lund Chut ki Kahaniya

उसके लंबे मोटे लंड ने मेरी वर्जिन चूत फाड़ दी - First time sex story

✍️ लेखक: sapna.mastani | 👁️‍🗨️ Views: 108 | 🗂️ श्रेणियाँ: anal fantasy

मैं सांची हूँ, 22 साल की। एक साधारण सी लड़की थी — शर्मीली, थोड़ी सी सीधी, और कभी खुद को आईने में भी पूरा नहीं देखती थी।

मेरी चूत अब तक untouched थी — virgin, एकदम tight। सिर्फ एक बार curiosity में खुद की उंगली डाली थी… लेकिन आधा इंच भी नहीं गई थी। जलन और हल्का दर्द हुआ था। तब ही समझ गई थी, मेरे अंदर कोई आने लायक नहीं है अभी।

फिर मेरी ज़िंदगी में आया शिवम — 25 साल का, confident, smart, और सबसे अलग बात… उसकी नज़रें। जब वो मुझे देखता था, ऐसा लगता था जैसे मेरी नाइटी के आर-पार सब देख रहा हो।

हम दोनों एक साल से रिलेशन में थे। प्यार करता था, लेकिन उससे ज़्यादा मेरी बॉडी का भूखा था — और मैं भी अब हर दिन उसकी नज़रों में खुद को और ज़्यादा नंगा महसूस करने लगी थी।

वो शाम याद है जब PG खाली था। मैं बस नाइटी में थी, और वो कमरे में आया। उसकी आँखें मेरी जाँघों पर अटक गईं… फिर धीरे-धीरे उसने मेरी नाइटी उठाई।

मैं काँप रही थी। उसने कुछ नहीं कहा… बस घुटनों के बल बैठ गया, और अपनी गरम जीभ मेरी जाँघों के बीच रख दी।

एक पल में मेरी साँसें रुक गईं — चूत एकदम भीग गई। उसकी जीभ की हर हरकत मेरी रग-रग को जगा रही थी।

“इतनी प्यारी है तेरी चूत…” उसने फुसफुसाया… और फिर जीभ से मेरी चूत के होठों को खोलने लगा।

वो पहली बार था जब किसी ने मेरी टांगों के बीच इतना वक़्त बिताया था… और मेरा बदन जवाब दे रहा था — मेरे निपल सख्त हो चुके थे, पीठ तान चुकी थी… और मेरी चूत अंदर तक रस छोड़ रही थी।

“आज तू मेरी होगी पूरी,” उसने कान में कहा… और अपनी पैंट खोल दी।

जब उसका लंड देखा, मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं — मोटा, लंबा, सीधा खड़ा हुआ… ऐसा लग रहा था जैसे लोहे की छड़ हो। कम से कम 7.5 इंच लंबा था, और उसकी नसें बाहर निकली थीं।

“ये मेरे अंदर कैसे जाएगा?” मैंने काँपते हुए कहा। उसकी आँखों में देख रही थी, लेकिन दिल धड़क रहा था जैसे कोई डर के सामने खड़ा हो।

उसने बिना जवाब दिए मेरे होंठ चूमे — गहरा, गरम, और ऐसा कि मेरी हिचकियों को चूस ले। फिर मेरी टाँगें धीरे से पकड़ीं… और फैला दीं — इतना कि मेरी चूत का गुलाबी, बंद छेद सीधा उसके सामने आ गया।

वो पहली बार था जब मेरी टांगों के बीच कोई इस तरह बैठा था — इतनी नज़दीकी से, सीधा मेरी चूत को देखता हुआ।

उसने अपने लंड की मोटी, गरम टिप को मेरी चूत के मुहाने पर रखा — और हल्का सा दबाया।

“आह…” मेरी गर्दन झुक गई, आँखें बंद हो गईं। वहाँ अब तक बस उँगलियाँ भी मुश्किल से गई थीं — अब अचानक कोई मोटा, गरम लंड अंदर घुसने को था।

“रुको ना… जल रहा है…” मैंने धीरे से कराहते हुए कहा।

“बस थोड़ी देर और… फिर तू खुद कहेगी — और दे।” उसके लहजे में गर्मी थी, और आँखों में भूख।

उसने एक झटका दिया — और उसका लंड आधा अंदर चला गया। मेरी चीख कमरे में गूंजी — “आहहह… शिवम…” आँखों से पानी निकल आया, पूरा बदन कांप गया।

मेरी चूत की अंदरूनी दीवार जैसे चीखी हो — seal खुली, एक हल्की सी जलन के साथ कुछ बहा… जब नीचे देखा तो चादर पर हल्का खून था — मेरी virginity की मुहर टूट चुकी थी।

“तू मुझे फाड़ रहा है शिवम…”

उसने मेरी आँखों में देखा, होंठों पर उँगलियाँ रखीं — “हाँ… और आज के बाद ये चूत सिर्फ मेरी है।”

अगली ही सांस में, उसने पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया — एक झटके में, जड़ तक।

मेरी चीख और सिसकारी एक साथ निकली — “आहहह…शि…वम…”

मेरी कमर पीछे को झटक गई, चादर मुट्ठियों में भर गई। लगा जैसे कुछ फट गया हो अंदर — मेरी चूत अब पूरी उसकी थी, दर्द से भरी, लेकिन अब पीछे हटना मुमकिन नहीं था।

मैं रो रही थी… लेकिन उसके हर अंदर बाहर में मेरा बदन खुद आगे बढ़ता जा रहा था — मेरी चूत अब उसका लंड मांग रही थी, बार-बार… पूरी गहराई तक।

उसने मेरे गाल पर हल्का किस किया – “बस कुछ सेकंड और… फिर तू खुद कहेगी – रुक मत।”

उसका लंड मेरी चूत में धीरे-धीरे हिल रहा था। पहली बार कोई अंदर था – इतना मोटा, इतना गर्म, और इतना गहरा कि मेरी रगें भरने लगी थीं।

मैंने उसकी पीठ को कसकर पकड़ लिया… अब दर्द कम हो रहा था, और उसके बदले आने लगा था – कुछ गीला… कुछ नम… और बहुत ज़्यादा प्यासा।

“अब कर तेज़…” मैंने खुद बोला, और उसने तुरंत मेरी टाँगें ऊपर उठाकर बेड के किनारे पर रख दीं। अब उसकी ठोकरें सीधी मेरी बच्चेदानी से टकरा रही थीं – “धप… धप… धप…”

मेरी छातियाँ उसकी छाती से टकरा रहीं थीं, और मेरे निपल उसके मुँह में जा चुके थे। वो उन्हें चूसते हुए बोले जा रहा था – “तेरी चूत अब मेरी है… और मैं इसे खोल-खोल कर भरूँगा।”

मैंने पहली बार उसका नाम चीखा – “शिवम… फाड़ दे मुझे…”

उसने मेरी कमर पकड़कर खुद के ऊपर खींच लिया – अब मैं उसकी लंड पर ऊपर-नीचे हो रही थी। मेरी चूत हर घर्षण पर तेज़ चिपकती, चूसती… और मैं orgasm के पास पहुंच रही थी।

“निकलेगी?” उसने पूछा, और मेरी आँखों में देखा। मेरा बदन पहले ही कांप रहा था, रग-रग में जैसे लहरें दौड़ रही थीं। मैंने बस सिर हिलाया, होंठ खुले हुए… “हाँ… आह्ह…”

और उसी पल, मैं जैसे टूट कर बिखर गई। मेरी पूरी चूत के अंदर कुछ फट सा गया, एक कंपकंपी रीढ़ तक दौड़ी… मेरी कमर उठी और फिर एक झटके में उसकी छाती पर गिर गई। मेरी सांसें हाँफ रहीं थीं, पसीना गर्दन से बह रहा था।

मेरे होंठ खुले हुए थे — “शिवम… अह्ह… तूने… मुझे… अंदर तक हिला दिया…”

उसने मेरी गर्दन चूमी, फिर बिना कुछ बोले मुझे पलट दिया। मेरी पीठ उसकी तरफ थी, मैं तकिए पर झुकी हुई थी। अचानक उसने मेरे बाल पकड़कर खींचा — “अब सुन, ये पहली बार था… अब तू मेरी होगी पूरी तरह।”

“शिवम… धीरे…” मैंने कराहते हुए कहा, लेकिन उसका लंड अब दोबारा सख्त था — और फिर से मेरे अंदर घुस गया, इस बार और गहराई तक।

“धप… धप… धप…” — हर झटका मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था। मैं खुद को रोक नहीं पा रही थी।

“तेरी tightness… तेरी चीख… मुझे और भूखा कर रही है…”

मेरे होंठों से निकल रहा था — “आह्ह… आह्ह… शिवम… मेरी चूत जल रही है… तू फाड़ दे…”

दूसरी बार निकलने से पहले, मेरी टाँगें काँप रहीं थीं, आँखें ऊपर की ओर घूम रहीं थीं, और मेरी चूत अब uncontrollably squeeze कर रही थी। “मैं फिर… आह्ह्ह… फिर से…” और दूसरी बार मैं orgasm में डूब गई।

लेकिन शिवम ने मुझे नहीं छोड़ा। उसने मुझे बाथरूम में खींचा, शावर चालू किया — पानी की तेज़ धार हमारे बदन से टकरा रही थी। दीवार पर मुझे टिका कर उसने एक हाथ से मेरी कमर उठाई, और फिर से घुसा।

“Shhh… अब तू चुप नहीं रह सकती…” उसने कहा।

मैं दीवार से टिकी, उसका लंड मेरी गीली चूत में पूरी लय में हिल रहा था। उसकी एक हथेली मेरे मुँह पर थी ताकि मेरी आवाज़ बाहर ना जाए, और दूसरी मेरी छातियों को रगड़ रही थी।

“तीसरी बार…” मेरी आँखों से आंसू थे… लेकिन इस बार दर्द नहीं, बस तेज़ी थी। तेज़ moans, गीला बदन, और हड़बड़ाती हवस।

मैं तीसरी बार orgasm तक गई — पूरी जान के साथ। मेरी चूत अब थक चुकी थी… लेकिन वो अब भी अंदर था, मेरी जाँघों पर उसकी जकड़ अब भी tight थी।

शावर के नीचे हम दोनों हांफ रहे थे, पानी हमारे पसीने को धो रहा था… लेकिन अंदर की आग अब भी जिंदा थी।

वो मुझे फिर से bed पर ले गया, मुझे towel से साफ किया… फिर मेरी छाती पर हल्की-हल्की kisses दी।

“तेरी चूत… addictive है सांची…”

मैंने फिर से उसका लंड मुँह में लिया — इस बार धीरे नहीं… सीधा गहराई तक, जब तक गले की दीवार ना टकराए।

वो लंड इतना मोटा था कि मेरी आँखों से पानी आने लगा — लेकिन मुझे अब उसी लंड से जीना था… और चूसना था, तब तक जब तक वो काँपे नहीं।

मैंने ज़ुबान से उसकी लंड की पूरी नसें महसूस की — और मुँह को पूरा खोलकर उसे गले तक उतारने लगी। हर बार लंड थोड़ा और अंदर जाता, मेरी आँखें पीछे मुड़ने लगतीं… लेकिन मैं खुद को और गहराई में धकेलती रही।

अब मैं नीचे लेटी थी — गर्दन पीछे की ओर झुकी हुई, मुँह पूरी तरह खुला। उसने ऊपर से लंड पकड़कर सीधा मेरे गले में धँसाना शुरू किया — धीरे नहीं… एक झटके में।

मेरी साँस अटक गई — आँखें फट गईं, गला भर चुका था। “साँस बंद कर सांची… बस लंड के लिए जी…” उसकी आवाज़ में पागलपन था, और मेरे गले में उसका पूरा लंड — जैसे वो पेशाब भी वहीं करना चाहता हो।

फिर उसने मेरा मुँह और सिर दोनों हाथों से पकड़ लिए — पहला झटका — लंड सीधा गले में धँसा, मेरी आँखें खुल गईं।

दूसरा झटका — गले से आवाज़ निकली *“ग्घ्र्र…”*, जैसे कुछ फट रहा हो… लार गालों से टपकने लगी — लेकिन मैं थमी रही।

तीसरा झटका सबसे गहरा था — पूरी जड़ तक अंदर गया — लंड गले की हर नस से टकरा रहा था, और मैं चुपचाप उसे पी रही थी।

मैंने पूरी बॉडी ढीली छोड़ दी — अब सिर्फ उसका लंड मेरे मुँह के रास्ते अंदर-बाहर हो रहा था। गले से गरगरा आवाज़ आ रही थी — लार बहती जा रही थी, आँखों से पानी निकलने लगा था… लेकिन मैं मुस्करा रही थी… लंड से भरी हुई।

उसका लंड अब भी मेरे मुँह में था — पूरी जड़ तक भरा हुआ, और मेरी ज़ुबान नीचे दबी हुई थी।

फिर उसने दोनों हाथों से मेरे सिर को कसकर थामा — और मुँह में ही झटके मारने लगा — जैसे चूत नहीं, मेरा मुँह ही अब उसकी चोदने की जगह हो।

“ठक… ठक… ठक…” हर बार लंड गले तक जाता — और मेरी आँखें पलटने लगतीं। लार बहती जा रही थी — नीचे चूती जा रही थी… लेकिन मैं रोक नहीं रही थी।

अब हर धक्का और गहरा, और तेज़ हो रहा था — “धप्प… धप्प… चूsss…” मेरे गले से गरगरा और गीली आवाज़ें निकलने लगीं — जैसे चूत भी इतना wet नहीं होती जितना मेरा मुँह हो गया था।

मैंने उसकी जाँघें कसकर पकड़ लीं — लेकिन वो रुका नहीं… उसका लिंग मेरे मुँह में गहराई तक जा रहा था, हर thrust और भी भारी, और भी बेशर्म होता जा रहा था। इस बार मेरी चूत नहीं, मेरा मुँह चोदा जा रहा था — तेज़ी से, ललक से, जैसे लार और लज्जा की कोई सीमा ही न हो।

फिर उसने खुद को पलट लिया — मैं नीचे, वो ऊपर — 69 में, जैसे दो जिस्म एक-दूसरे को पीने को बने हों।

मैंने फिर से उसका लिंग मुँह में लिया — इस बार सिर्फ चूसने के लिए नहीं, उसके अंडकोषों तक जाने, उन्हें जीभ से छूने, और एक-एक को मुँह में भरकर चूसने के लिए।

“चूsss… म्म्म… हा…” — मेरे मुँह से निकलती सिसकियाँ उसकी रगों में आग भर रही थीं।

उधर वो मेरी चूत पर झुका हुआ था — जैसे कोई भूखा प्रेमी हर रस की आखिरी बूँद चाट लेना चाहता हो। उसने चूत को चाटते-चाटते गांड तक जीभ ले गया — और दरार को चीरकर, अपनी गर्म साँसों से मेरी रूह तक कंपा दी।

मैं उसके लिंग और बॉल्स में डूबी थी — वो मेरी चूत और गांड में — हम दोनों अपनी-अपनी भूख को जज़्ब कर रहे थे — एक साथ, एक ही लय में।

हर lick, हर चूसना, हर जीभ की हरकत… अब बस एक ही दिशा में बढ़ रही थी — चरम की तरफ।

हम दोनों एक साथ झड़े — मेरी चूत से गर्म गीला झरना फूटा, और उसके लंड से मोटा, गरम माल सीधे मेरे मुँह में भर गया। मैं काँपते हुए थोड़ा पीछे हटी — उसका लंड अब भी मेरे होंठों से चिपका था, और मेरी टपकती चूत, अब भी उसकी जीभ को ढूँढ रही थी।

उसने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया — मेरे बालों में उँगलियाँ फँसाकर माथा चूमा — और हम दोनों, पसीने से भीगे, थक कर एक-दूसरे में समा गए।

✨ दोस्तों, कैसी लगी आपको ये कहानी? अगर आपको भी कभी ऐसा कोई तगड़ा, गीला और यादगार अनुभव हुआ हो — तो कमेंट में ज़रूर बताना।

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